हानिकारक कीट, बीमारी एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड द्वारा अनुमोदित कीटनाशी रसायनों का समुचित उपयोग
समन्वित नाशीजीव प्रबंधन में विभिन्न कीटनाशी, फफूॅदनाशी तथा खरपतवारनाशी रसायनों की अहम भूमिका है। शायद ही ऐसी
कोई हाानिकारक जीव¨ं से सम्बन्धित अत्यन्त गंभीर समस्या हो जिसका समाधान बिना इनके प्रयोग के सम्भव हो। चूँकि
जीवनाशी रसायनों का अन्य जीवधारियों तथा वातावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है तथा किसान¨ं क¨ आर्थिक क्षति ह¨ सकती
है इसलिए इन रसायनों का प्रयोग करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिएः
* जीवनाशी रसायनों का प्रयोग तभी करें जब आवश्यक हो। अनावश्यक प्रयोग करने से आपके खेतों में पाये जाने वाले मित्र
कीट मर जायेगें जिसके कारण अन्य शत्रु कीटों का प्रकोप बढ़ जायेगा।
* भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अनुदेशो के अनुसार फसलों को विभिन्न प्रकार के कीट, बीमारी या खरपतवार से बचाने के
लिए केवल उसी रसायनों का प्रयोग करना चाहिए जिसकी संस्तुति केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड द्वारा दी गई हो। इस प्रकार के
रसायनों की सूची अगले पृष्ठों में संकलित की गई है। अन्य रसायनों का प्रयोग सर्वथा वर्जित है।
* वैज्ञानिकों, प्रसार, सहायकों, कृषि विभाग के अधिकारियों से भी यह अपेक्षा की गई है कि विभिन्न गोष्ठियों तथा
कृषकों से सम्बन्धित किसी कार्यक्रम में उन्हीं रसायनों की संस्तुति करें जो केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड द्वारा
अनुमोदित है।
* कभी भी इन रसायनों का प्रयोग समयबद्व तरीके से न करें।
* फसलों पर केवल उन्हीं जीवनाशी रसायनों का प्रयोग करना चाहिए जिसकी संस्तुति वैज्ञानिकों द्वारा की जाती है। प्रयोग
करने के पहले सम्बन्धित कीटनाशी रसायन के बारे में पूरी जानकारी उसके साथ उपलब्ध प्रपत्र या डब्बे से प्राप्त कर
लेनी चाहिए।
* हाानिकारक कीट¨ं के लिए कीटनाशी, बीमारियों के लिए फफूॅदनाशी तथा खरपतवारों के लिए खरपतवारनाशी रसायनों का प्रय®ग
करे तथा इनका क्रय करते समय जाॅच लें कि रसायन सही है या नहीं।
* कीटनाशी रसायनों का क्रय करते समय ऐसे उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए जिसके डब्बे पर हरे एवं नीले रंग का
तिकोना छपा हो क्योंकि ये पीले व लाल रंग वाले रसायनों की तुलना में अधिक प्रभावशाली तथा सुरक्षित होते हैं।
* फसलों पर उन जीवनाशी रसायनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जिनका खण्डन लम्बी अवधि में होता है।
* जीवनाशी रसायनों का प्रयोग करने से पहले डब्बे तथा साथ में रखी पर्ची पर लिखित निर्देश पढ़ कर उसका पालन करें
।
* जीवनाशी रसायनों का प्रयोग उसी दर पर करना चाहिए जिस पर उनकी संस्तुति होती है। ज्यादा रसायन प्रयोग करने से वे
पौधों से गिरकर मिट्टी में मिल जाते हैं और फिर जल स्त्रोतों तक पहुँच जाते हैं।
* जीवनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय उचित उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि गलत उपकरणों के प्रयोग से अधिकाँश
रसायन पौधे से बाहर चला जाता है। खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय फ्लैटफैन या इम्पैक्ट नाजिल प्रय¨ग
करे।
* जीवनाशी रसायन का उस अवस्था में कभी प्रयोग नहीं करना चाहिए जब तेज हवा चल रही हो क्योंकि ऐसी अवस्था में इन
रसायनों के अंश हवा में उड़कर हवा, जल और चारागाहों को प्रदूशित कर सकते हैं।
* जीवनाशी रसायनों का प्रयोग ऐसे मौसम में नहीं करना चाहिए जब बर्षा होने की सम्भावना हो।
* रसायनों का प्रयोग करते समय सुरक्षा के सभी उपायों का पालन करना चाहिए। तथा कभी भी रसायनों को हाथ से नहीं छुना
चाहिए। इसके लिए रबर या प्लास्टिक के दस्तानें इस्तेमाल करने चाहिए।
* कीटनाशी रसायनों का प्रयोग करते समय बीड़ी, सिगरेट, मदिरा या अन्य भोज्य पर्दाथों का सेवन नहीं करना चाहिए चूँकि
इससे र्दुघटना होने की सम्भावना होती है।
* रसायनों का घोल कभी भी जल स्त्रोतों के पास नहीं बनाना चाहिए क्योंकि उससे प्रदूशित होने की सम्भावना होती है।
रसायनों के घोल को मिलाने के लिए कभी भी हाथ का प्रयोग नहीं करना चाहिए और किसी भी छड़ी से घोल को मिलाना चाहिए।
बोतलो के ढ़क्कन को खोलने के लिए कभी भी मुँह का प्रयोग नहीं करना चाहिए तथा रसायनों के माप के समय सावधानी बरतनी
चाहिए ताकि रसायन शरीर के किसी अंग पर न गिरें।
* फसल पर छिड़काव के बाद कभी भी बचे हुए रसायन के घोल को जल स्त्रोत के पास नहीं गिराना चाहिए क्योंकि इससे प्रदूशित
होने की सम्भावना होती है।
* जीवनाशी रसायनों के डिब्बों का कभी भी खाद्य पदार्थों के संग्रहण के लिए नहीं करना चाहिए क्योंकि कुछ न कुछ रसायन
उसमें बचे रहते हैं।
* जीवनाशी रसायनों के डिब्बों को अच्छी प्रकार तोड़कर नष्ट करना चाहिए ताकि उसका कोई उपयोग न कर सके।
* कुछ रसायनों के डिब्बों को जलाते समय घातक धुआँ निकलता है जिससे वातावरण प्रदूशित होता है। इससे बचने के लिए केवल
उन्हीं डिब्बों को जलाना चाहिए जिससे इसकी सम्भावना नहीं होती है।
* सुरक्षा एवं सुरक्षित उपयोग के विभिन्न उपाय डिब्बों पर छपे होते हैं इसलिए कभी भी जीवनाशी रसायन का प्रयोग करने
से पहले डिब्बों पर लिखे हुए निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए।
* किसी भी फसल पर किसी जीवनाशी रसायन के प्रयोग के बाद उसका खाने के लिए तुरन्त प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रत्येक
जीवनाशी रसायन के लिए प्रत्येक खाद्य फसलों पर एक निश्चिित प्रतीक्षा अवधि (वेटिंग पीरियड) होती है जिसके उपरान्त ही
पौधे के किसी भाग का प्रयोग खाने के लिए किया जा सकता है। ऐसा न करने पर अखण्डित रसायन खाद्य पदार्थ के साथ मनुष्य
के शरीर में पहुँच जाता है और हानिकारक प्रभाव पैदा करता है।
* कीटनाशी रसायनों के प्रयोग के समय होने वाली किसी भी र्दुघटना के उपचार हेतु रोगी को अविलम्ब चिकित्सक के पास ले
जाना चाहिए। चिकित्सक के पास जाते समय कीटनाशी रसायन के डब्बों को भी साथ में ले जाना चाहिए ताकि रसायन के अनुसार
समुचित इलाज हो सके।
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